तेंदू फल: (persimmon) गुण, उपयोग और नुकसान:





तेंदू फल (वानस्पतिक नाम: Diospyros melanoxylon), यह एक प्रकार का फल है, जिसे अंग्रेज़ी में "पर्सिम्मन" (persimmon) कहते हैं और  "डेट-प्लम" (date-plum) भी कहते हैं यह भारत और श्रीलंका में पाया जाने वाला एक स्वादिष्ट और औषधीय गुणों से भरपूर फल है। यह फल न केवल अपने मीठे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों के कारण भी इसे महत्वपूर्ण माना जाता है। तेंदू का पेड़ मध्यम आकार का होता है, जिसकी पत्तियों से बीड़ी बनाई जाती है और लकड़ी का उपयोग फर्नीचर बनाने में होता है। इस लेख में हम तेंदू फल के गुण, औषधीय उपयोग, अन्य उपयोग और इसके संभावित नुकसानों के बारे में विस्तार से जानेंगे।



तेंदू के पोषण तत्व (Nutritional Value of Tendu Fruit):


तेंदू फल में अनेक आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं जो इसे औषधीय और पोषण से भरपूर बनाते हैं। सामान्यतः 100 ग्राम तेंदू फल में निम्न तत्व होते हैं:

पोषक तत्व मात्रा (औसतन)

ऊर्जा (Calories) 70-80 Kcal

कार्बोहाइड्रेट 18-22 ग्राम

फाइबर (रेशा) 2.5-3 ग्राम

प्रोटीन 0.5-1 ग्राम

वसा (Fat) 0.1-0.3 ग्राम

कैल्शियम 25-30 मि.ग्रा

आयरन 0.8-1 मि.ग्रा

विटामिन C 8-10 मि.ग्रा

बीटा-कैरोटीन (Vitamin A का स्रोत) उच्च मात्रा में

एंटीऑक्सिडेंट्स फ्लावोनॉइड्स और टैनिन

तेंदू फल के गुण:

तेंदू फल अपने पोषक तत्वों और औषधीय गुणों के कारण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। इसके प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं:

• पोषक तत्व: तेंदू फल में विटामिन A, विटामिन C, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम, और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

• एंटीऑक्सीडेंट गुण: इसमें कैरोटिनॉइड, फ्लेवोनॉइड्स, और टैनिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करते हैं।

• एंटी-इन्फ्लेमेटरी: तेंदू में सूजन-रोधी गुण होते हैं, जो जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।

• एंटी-डायबिटिक: यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक है, जिससे डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभकारी है।

• कसैला और मीठा स्वाद: कच्चा तेंदू फल कसैला होता है, जबकि पका हुआ फल मीठा और चीकू जैसा स्वाद देता है।

• औषधीय महत्व: आयुर्वेद में तेंदू को उदर्द प्रशमन महाकषाय और न्यग्रोध्रादि-गण में शामिल किया गया है।

• कम कैलोरी: यह कम कैलोरी वाला फल है, जो वजन नियंत्रण में मदद करता है।

• हृदय स्वास्थ्य: इसके फाइबर हृदय रोगों के जोखिम को कम करते हैं।

• रक्त शोधक: तेंदू की छाल और फल रक्त को शुद्ध करने में सहायक हैं।

• एंटीमाइक्रोबियल: इसके पत्तों में पाए जाने वाले पेंटासाइक्लिक ट्राइटरपेन्स में रोगाणुरोधी गुण होते हैं।

तेंदू फल के औषधीय उपयोग:

तेंदू फल और इसके पेड़ के विभिन्न भागों (पत्ते, छाल, फल, और जड़) का उपयोग आयुर्वेद में कई रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।

1. लकवा (पैरालिसिस) में लाभकारी: तेंदू की जड़ का काढ़ा पीने और छाल के चूर्ण को मरिच के साथ जीभ पर घिसने से लकवा के कारण जीभ की अकड़न और बोलने में असमर्थता में राहत मिलती है।

2. मूत्रमार्ग की पथरी: पके हुए तेंदू फल का सेवन करने से मूत्रमार्ग की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है।

3. त्वचा की रंगत बढ़ाने में: तेंदू फल के रस को पीसकर चेहरे पर लेप करने से त्वचा की रंगत में सुधार होता है और चमक बढ़ती है।

4. दस्त और पेट दर्द: कच्चे तेंदू फल और इसकी छाल का उपयोग करने से दस्त और पेट दर्द में राहत मिलती है।

5. डायबिटीज नियंत्रण: तेंदू फल में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

6. हृदय स्वास्थ्य: इसके फाइबर और कैरोटिनॉइड कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर हृदय रोगों के जोखिम को कम करते हैं।

7. सूजन और गठिया: तेंदू फल में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होने के कारण यह जोड़ों के दर्द और गठिया में लाभकारी है।

8. पाचन तंत्र को स्वस्थ रखना: फाइबर से भरपूर होने के कारण यह कब्ज और एसिडिटी जैसी समस्याओं से बचाता है।

9. आँखों के रोग: तेंदू फल के रस को काजल की तरह आँखों में लगाने से आँखों की समस्याएँ जैसे दर्द और लालिमा कम होती हैं।

10. नपुंसकता में सुधार: तेंदू फल का नियमित सेवन पुरुषों में नपुंसकता को दूर करने में मदद करता है।

तेंदू फल और पेड़ के अन्य उपयोग:

तेंदू का पेड़ और फल केवल औषधीय उपयोग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका उपयोग अन्य क्षेत्रों में भी किया जाता है:

1. बीड़ी निर्माण: तेंदू की पत्तियों का उपयोग बीड़ी बनाने में किया जाता है, जो भारत में एक प्रमुख उद्योग है।

2. फर्नीचर निर्माण: तेंदू की लकड़ी चिकनी और काली होती है, जिसका उपयोग फर्नीचर और सजावटी वस्तुओं के लिए होता है।

3. चमड़ा रंगना: तेंदू की छाल का उपयोग चमड़ा रंगने के लिए किया जाता है।

4. जूस और स्मूदी: तेंदू फल का जूस या स्मूदी बनाकर पेय के रूप में सेवन किया जा सकता है।

5. फ्रूट सलाद: तेंदू फल को अन्य फलों के साथ मिलाकर सलाद के रूप में खाया जाता है।

6. हलवा निर्माण: तेंदू फल का उपयोग हलवा जैसे व्यंजनों में किया जाता है।

7. गोंद का उपयोग: तेंदू पेड़ से निकलने वाला गोंद (लाशा) आँखों की रोशनी बढ़ाने और मोतियाबिंद के उपचार में उपयोगी है।

8. पर्यावरण संरक्षण: तेंदू के पेड़ जंगलों में मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करते हैं।

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तेंदू फल के घरेलू प्रयोग विधियां (Home Remedies Using Tendu):

1. तेंदू का फल सीधे खाएं:

• पका हुआ फल सीधे खाया जा सकता है। यह मीठा, स्वादिष्ट और पाचन के लिए उपयोगी होता है।

2. तेंदू का काढ़ा (Kadha):

सामग्री:

• तेंदू की छाल या पत्ते – 10 ग्राम

• पानी – 200 मिली

• तुलसी और अदरक – थोड़ा सा (इच्छानुसार)

विधि:

• सभी सामग्री को उबालें जब तक पानी आधा रह जाए।

• छानकर गुनगुना पिएं।

🔹 लाभ: बुखार, जुकाम, और शरीर की कमजोरी में लाभकारी।

3. तेंदू का पेस्ट (Paste):

• ताजे पत्तों या फलों को पीसकर लेप बनाएं।

🔹 लाभ: फोड़े-फुंसी, दाद-खुजली, घावों पर लगाने से आराम मिलता है।

4. तेंदू की पत्तियों का धुआं:

• सूखी पत्तियों को जलाकर धुआं लें।

🔹 लाभ: सिरदर्द और सांस के रोगों में कुछ राहत मिलती है (सावधानी से करें)।

5. तेंदू छाल से मंजन (Herbal Tooth Powder):

• सूखी छाल को पीसकर मंजन के रूप में इस्तेमाल करें।

🔹 लाभ: मसूड़ों को मजबूत बनाता है और सांस की दुर्गंध दूर करता है।

6. तेंदू फल का शरबत:

• पके हुए फल को मैश करके पानी में मिलाएं और थोड़ा गुड़ या शहद डालें।

🔹 लाभ: गर्मियों में ठंडक देने वाला प्राकृतिक पेय।

तेंदू फल के नुकसान:

हालांकि तेंदू फल के कई फायदे हैं, लेकिन इसका अत्यधिक या अनुचित सेवन कुछ नुकसान भी पहुंचा सकता है:

तेंदू के नुकसान (Disadvantages):

1. अधिक मात्रा में कब्ज – अत्यधिक सेवन से कब्ज हो सकता है।

2. डायबिटिक मरीजों को सतर्क रहना चाहिए – बिना परामर्श के सेवन नुकसानदायक हो सकता है।

3. एलर्जी की संभावना – कुछ लोगों को त्वचा एलर्जी हो सकती है।

4. पेट फूलना – अधिक मात्रा में सेवन से गैस बन सकती है।

5. गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक – गर्भावस्था में बिना सलाह के न लें।

6. बच्चों में अपच – छोटे बच्चों में पेट खराब कर सकता है।

7. किडनी पर असर – अधिक मात्रा में सेवन से किडनी पर असर हो सकता है।

8. पाचन में गड़बड़ी – असमय या अधिक सेवन से पाचन खराब हो सकता है।

9. पत्तियों का धुआं नुकसानदेह – लंबे समय तक धुआं सूंघना हानिकारक हो सकता है।

10. पुरानी बीमारियों में असर डाल सकता है – खासकर हृदय और लिवर रोगियों को परहेज करना चाहिए।

निष्कर्ष:

तेंदू फल (persimmon) एक पौष्टिक गुणों से भरपूर फल है। इसके पेड़ के विभिन्न भाग जैसे पत्ते, छाल, और लकड़ी का उपयोग औद्योगिक और आयुर्वेदिक क्षेत्रों में होता है। हालांकि, इसके सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि अत्यधिक या अनुचित उपयोग से कुछ नुकसान हो सकते हैं। तेंदू फल को अपनी डाइट में शामिल करने से पहले चिकित्सक की सलाह लेना उचित है, खासकर यदि आप किसी विशेष स्वास्थ्य स्थिति से गुजर रहे हैं।

  लेख पढने के लिए धन्यवाद                               

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