बांसलोचन, बंबूसा अरुंडिनेसिया, तबाशीर: प्राचीन भारतीय आयुर्वेदिक औषधीय गुणों का खजाना:
भारतीय संस्कृति में औषधियों का महत्व अत्यधिक है। विभिन्न प्राकृतिक उपचारों में से एक महत्वपूर्ण औषधि है बांसलोचन, जिसे वंस शर्कर ,वंस कर्पूर और वैज्ञानिक रूप से Tabasheer भी कहा जाता है। यह एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है जिसे प्राकृतिक रूप से प्राप्त किया जाता है और इसके अनेक गुणों का उपयोग विभिन्न चिकित्सा उपचारों में किया जाता है।
तबाशीर या बंसलोचन बांस की कुछ नस्लों के जोड़ों से मिलने वाला एक पारभासी सफ़ेद पदार्थ होता है। यह मुख्य रूप से सिलिका और पानी और कम मात्रा में खार और चूने का बना होता है। बांस की कुछ नस्लों के अंदर जोड़ के पास पाया जाने वाला रेशमी पदार्थ दिखने में क्रिस्टलीय जैसा सफेद कपूर जैसा, जीभ पर थोड़ा चिपचिपा और स्वाद में मीठा होता है।
कैल्शियम की भरपूर मात्रा बंशलोचन में होती है, जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। बढ़ती उम्र के साथ होने वाले जोड़ों के दर्द, गठिया और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी समस्याओं में भी बंसलोचन फायदा करता है। बंशलोचन में कोई भी स्वाद नहीं होता है, इसे आप दूध में मिलाकर भी पी सकते हैं।
बम्बुसा अरुंडीनेसिया (बंशलोचन) अर्क के स्वास्थ्य लाभ:
त्वचा रोगों के प्रबंधन में फायदेमंद
लोच बनाए रखने में मदद करता है और त्वचा को मजबूती प्रदान करता है
मुँहासे, त्वचा के फटने और घावों के प्रबंधन में मदद करता है
रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में फायदेमंद
श्वसन संबंधी समस्याओं को प्रबंधित करने में मदद करता है
बांसलोचन एक प्राकृतिक उपचार है जो विभिन्न रोगों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह वनस्पति भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में विशेष महत्व रखती है और आयुर्वेद में उसके गुणों को समर्थित किया जाता है। बांसलोचन के रासायनिक तत्व और पोषण से भरपूरता की वजह से यह बहुत ही उपयोगी होता है।
बांसलोचन के पोषण सम्बंधित लाभ:
प्रोटीन: बांसलोचन में प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है जो मांस, दूध और अन्य पोषण स्रोतों की तुलना में अधिक होती है। प्रोटीन शरीर के उत्तम विकास और पोषण के लिए आवश्यक होता है।
विटामिन: बांसलोचन में विटामिन B, C, और डी की अच्छी मात्रा होती है जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है। विटामिन सी शरीर को इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक होता है, जबकि विटामिन डी अच्छे हड्डियों और मांसपेशियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं
मिनरल्स: बांसलोचन में फॉस्फोरस, कैल्शियम, और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स की समृद्धि होती है। ये मिनरल्स हड्डियों के विकास में मदद करते हैं और उन्हें मजबूत बनाए रखने में सहायक होते हैं।
यह श्वासनली रोग, उच्च रक्तचाप, मानसिक तनाव, त्वचा संबंधी समस्याएं, और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है। इसका उपयोग मसालेदार, दवा, या रस के रूप में किया जा सकता है।
बांसलोचन के औषधीय गुण:
पाचन शक्ति: बांसलोचन को पाचन शक्ति को बढ़ाने और पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए जाना जाता है। यह पाचन क्रिया को सुधारता है और अपच को कम करता है।
शारीरिक संतुलन: बांसलोचन में मौजूद पोषण तत्व शारीरिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। यह ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है और थकावट को कम करता है।
रक्तशुद्धि: बांसलोचन का नियमित सेवन रक्त को शुद्ध करने में मदद कर सकता है। यह रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देता है और विभिन्न रक्त संबंधी रोगों को नियंत्रित कर सकता है।
आंतरिक संतुलन: बांसलोचन विशेष रूप से मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। इसका सेवन तनाव को कम करने में मदद करता है और मानसिक चिंता को दूर करता है।
बांसलोचन का औषधीय उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है। इसके अनेक गुणों की वजह से यह विशेष रूप से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। बांसलोचन में प्राकृतिक रूप से कैल्शियम, सिलिका, और अन्य मिनरल्स मौजूद होते हैं, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में मदद करते हैं।
बांसलोचन के उपयोग:
श्वासनली रोग: बांसलोचन का उपयोग श्वासनली संबंधी रोगों के इलाज में किया जा सकता है। इसके औषधीय गुण श्वासनली को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।
उच्च रक्तचाप: बांसलोचन में पाए जाने वाले गुण रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
मानसिक तनाव: यह एक प्राकृतिक तनाव निवारक होता है और मानसिक स्थिति को स्थिर रखने में मदद कर सकता है।
त्वचा संबंधी समस्याएं: बांसलोचन का उपयोग त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे कि फुंसी, दाद, खुजली आदि में किया जा सकता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना: यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकता है और रोगों से लड़ने में सहायक हो सकता है।
हृदय स्वास्थ्य: बांसलोचन का नियमित सेवन हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
होंठों की समस्याएं: यह होंठों की सूजन और दर्द को कम करने में सहायक हो सकता है।
हेल्दी बोन्स: इसमें पाए जाने वाले मिनरल्स और पोषक तत्व हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
आंतरिक रोगों का इलाज: बांसलोचन का सेवन आंतरिक रोगों जैसे कि आंत में सूजन, अल्सर, और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है।
विटामिन डी की कमी का समाधान: बांसलोचन में विटामिन डी की मात्रा होती है, जो की इसका सेवन करने से विटामिन डी की कमी को पूरा करने में मदद कर सकता है।
श्वासनली संबंधी संक्रमण: इसका सेवन श्वासनली संबंधी संक्रमणों से लड़ने में सहायक हो सकता है।
मस्तिष्क स्वास्थ्य: बांसलोचन में मौजूद गुण मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
श्वासनली विकार: इसका सेवन श्वासनली के विकारों जैसे कि ब्रोंकाइटिस, एस्थमा, और कफ से राहत प्रदान कर सकता है।
एलर्जी का इलाज: बांसलोचन का सेवन एलर्जी के लक्षणों को कम कर सकता है और राहत प्रदान कर सकता है।
स्त्री स्वास्थ्य: यह मासिक धर्म की समस्याओं को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है।
चक्कर आना: यह चक्कर आने के लक्षणों को कम कर सकता है और शरीर को स्थिरता प्रदान कर सकता है।
गले की खराश: बांसलोचन का सेवन गले की खराश को कम कर सकता है और दर्द को शांत कर सकता है।
अपच: यह पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है और पेट की समस्याओं को ठीक कर सकता है।
सावधानियाँ और अन्य सुझाव:
बहुत अधिक वंशलोचन खाने से पाचन संबंधी समस्याएं जैसे सूजन, कब्ज और पेट में ऐंठन हो सकती है । यह संभावित रूप से कुछ लोगों में एलर्जी प्रतिक्रिया भी पैदा कर सकता है। इसलिए, किसी भी अन्य चीज़ की तरह, वंशलोचन का सेवन सीमित मात्रा में ही करना महत्वपूर्ण
यदि किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की अलर्जी हो, तो उन्हें बांसलोचन का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
बांसलोचन का अधिक सेवन गैस, अपच, या अन्य पेट संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है, इसलिए उसका सेवन मात्रा में सावधानी बरतना चाहिए।
इस प्रकार, बांसलोचन एक महत्वपूर्ण पोषण स्रोत है जो शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है और अनेक औषधीय गुणों के साथ आत्मा को संतुलित और स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होता है। यह एक प्राकृतिक उपचार है जो सावधानी के साथ उपयोग किया जाना चाहिए।
यह थे कुछ महत्वपूर्ण उपयोग जिनके लिए बांसलोचन का सेवन किया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति किसी भी समस्या से पीड़ित है, तो उन्हें पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए और उनकी सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करना चाहिए।
लेख पढने के लिए धन्यवाद।
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